सुमित्रानंन्दन पंत के काव्य में युगबोध और मानवतावाद
- नई दिल्ली ओमेगा पब्लिकेशन्स 2009
- xvi, 419 Hb
978-81-8455-125-9
वीणा पल्लव युगांतर रजत शिखर वीणी किरण वीणा शशि की तरी सत्यकाम हार शिल्पी युग पुरूष अतिमा संक्रान्ति युगवाणी ग्राम्या पौ फटने से पहले शंख ध्वनि पंत, सुमित्रानन्दन सौवर्ण छाया नये संकट ग्रंथि स्वर्ण किरण कला और बूढ़ा चांद आस्था ज्योत्सना युगांत पतझर गीत हंस गुंजन उतरा लोकायतन गीत अगीत