| 000 | 01869nam a2200553Ia 4500 | ||
|---|---|---|---|
| 100 | _aरानडे, पुष्पा | ||
| 020 | _a978-81-8455-125-9 | ||
| 365 | _b575 | ||
| 942 | _cBK | ||
| 654 | _aवीणा | ||
| 654 | _a पल्लव | ||
| 654 | _a युगांतर | ||
| 654 | _a रजत शिखर | ||
| 654 | _a हार | ||
| 654 | _a शिल्पी | ||
| 654 | _a युग पुरूष | ||
| 654 | _a अतिमा | ||
| 654 | _a संक्रान्ति | ||
| 654 | _a युगवाणी | ||
| 654 | _a ग्राम्या | ||
| 654 | _a पौ फटने से पहले | ||
| 654 | _a शंख ध्वनि | ||
| 654 | _a पंत, सुमित्रानन्दन | ||
| 654 | _a सौवर्ण | ||
| 654 | _a छाया | ||
| 654 | _a नये संकट | ||
| 654 | _a ज्योत्सना | ||
| 654 | _a युगांत | ||
| 654 | _a पतझर | ||
| 654 | _a गीत हंस | ||
| 654 | _a गुंजन | ||
| 654 | _a उतरा | ||
| 654 | _a लोकायतन | ||
| 654 | _a गीत अगीत | ||
| 654 | _a वीणी | ||
| 654 | _a किरण वीणा | ||
| 654 | _a शशि की तरी | ||
| 654 | _a सत्यकाम | ||
| 654 | _a ग्रंथि | ||
| 654 | _a स्वर्ण किरण | ||
| 654 | _a कला और बूढ़ा चांद | ||
| 654 | _a आस्था | ||
| 654 | _a | ||
| 245 | _aसुमित्रानंन्दन पंत के काव्य में युगबोध और मानवतावाद | ||
| 260 |
_aनई दिल्ली _bओमेगा पब्लिकेशन्स _c2009 |
||
| 082 | _a891.431 | ||
| 300 |
_bHb _axvi, 419 |
||
| 999 |
_c344152 _d344152 |
||
| 041 | _ahin | ||