| 000 | 01264nam a2200325Ia 4500 | ||
|---|---|---|---|
| 100 | _aजोग, ल. ग. | ||
| 365 | _b15 | ||
| 942 | _cBK | ||
| 654 | _aपण लक्षात कोण घेतो | ||
| 654 | _a ऑक्टोपस | ||
| 654 | _a बाहुल्या (इंदिरा संत) | ||
| 654 | _a सखाराम बाईंडर | ||
| 654 | _a माता द्रौपदी | ||
| 654 | _a घाशीराम कोतवाल | ||
| 654 | _a वेड्याचं घर उन्हात | ||
| 654 | _a काचापाणी | ||
| 654 | _a तो मी नव्हेच | ||
| 654 | _a रानातल्या कविता (ना. धों. मनोहर) | ||
| 654 | _a रेणू (पु. शि. रेगे) | ||
| 654 | _a पालखी (दि. बा. मोकाशी) | ||
| 654 | _a काठोकाठ भरू द्या पेला | ||
| 654 | _a बिढार | ||
| 654 | _a मर्तिक (चंद्रकांत खोत) | ||
| 654 | _a | ||
| 245 | _aदीप-दर्शन | ||
| 260 |
_aमुंबई _bसर्ग प्रकाशन _c1977 |
||
| 082 | _a891.4609 | ||
| 300 | _a(10),126 | ||
| 999 |
_c346823 _d346823 |
||
| 041 | _amar | ||